प्रियंका गांधी वाड्रा के आलोचकों को चौंका देने वाली बातें बोलीं, असम में 'माफियाओं का राज' चल रहा है।
यह उनके बयान में स्पष्ट जाहिरात करता है कि वे राजनीतिक दलों की बाज़ी भीख मांगने वाले समाज के संगठनों की नकल कर रहे हैं।
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव, जिन्होंने धुबरी में एक जनसभा को संबोधित किया, ने कहा कि असम में दोस्तों की जोड़ी की भरमार हो रही है। उनके इस बयान से एक सवाल उठता है - क्या यह केवल राजनीतिक अभियांता का हिस्सा है, या असम की राजनीति में वास्तविकता है?
उन्होंने कहा, "जब आपके सीएम कांग्रेस पार्टी में थे, तो आपके खिलाफ गंभीर आरोप थे।" लेकिन, जैसे ही वे भाजपा में शामिल हुए, उन पर लगे सभी आरोप धुल गए। यह कैसे हो सकता है? क्या राजनीति इतनी भ्रांति का भंडार है कि यहाँ जो भी हो, उसका अनुमान ही नहीं लगाया जा सकता?
उन्होंने आगे कहा, "बीजेपी ने एक वॉशिंग मशीन." इस बयान के पीछे का अर्थ क्या है? क्या वास्तव में राजनीति का यह नया रूप है - जिसमें आरोपों को धुलाई जा सकता है जैसे कि कपड़ों को धुलाया जाता है?
यहाँ बात का सीधा अर्थ है कि असम की राजनीति में खुलेआम देशी दंगल का माहौल है। प्रियंका गांधी वाड्रा ने जनता के सामने इस बात की सफाई की है कि उन्हें बाज़ी भीख मांगने वाले लोगों की तकनीकों को कभी अपनाने का इरादा नहीं है।
उन्होंने कहा, "असम में जो सरकार है, वह दिल्ली की सरकार के दबाव में है।" यह कहना कितना वास्तविक है? क्या असम की राजनीति में दिल्ली की सरकार का बड़ा हाथ है? या फिर यह केवल एक राजनीतिक ठोस बयान है?
उन्होंने अपने बयान में कहा, "जब आपके सीएम कांग्रेस पार्टी में थे,
तो आपके खिलाफ गंभीर आरोप थे।" क्या यह वास्तव में सच है? क्या इसका कोई सबूत है?
यह सवाल बेशक ही आपके दिमाग में भी उठ रहा होगा, क्योंकि यहाँ पर राजनीति की एक अजीब-ग़ज़ब अनुभूति हो रही है। जहाँ एक समय आपके खिलाफ आरोप थे, वहीं एक अगले मोड़ पर सभी वो आरोप गायब हो गए। यह कैसे हो सकता है? क्या यह राजनीति का एक नया रूप है?
जब प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "बीजेपी ने एक वॉशिंग मशीन," तो यह किसी को भी सोचने पर मजबूर कर देता है कि क्या वास्तव में राजनीति इतनी घनिष्ठ है कि आरोपों को धुलाई जा सकता है जैसे कि कपड़ों को धो दिया जाता है।
यह सब कुछ देखकर हमें सोचने पर मजबूर करता है कि राजनीति का यह नया रूप क्या है? क्या यह सिर्फ एक खेल है, जिसमें हर कोई अपने ही नियम बनाता है? या फिर कुछ और है?
असम में इस प्रकार की बयानबाज़ी देखकर हम सोचते हैं कि क्या यह समाज में एक नया परिवर्तन का संकेत है? क्या लोग अब राजनीतिक खिलवाड़ को सहने के लिए तैयार हैं? या फिर वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे?
यह सवाल हमें अपने राजनीतिक प्रक्रियाओं पर नज़र डालने के लिए मजबूर करता है। क्या हम वास्तव में एक सच्ची और ईमानदार राजनीति की दिशा में बढ़ रहे हैं, या फिर हम खेल के कुछ अन्य नियमों को अपना रहे हैं? यह सवाल हमें सोचने पर मजबूर करता है
कि क्या हम वास्तव में अपनी राजनीतिक प्रणाली को सुधार सकते हैं?
प्रियंका गांधी वाड्रा के बयान ने हमें असम की राजनीति में एक नजर डालने के लिए मजबूर किया है, जो उसकी ताजगी और विवेकशीलता को दर्शाता है। उनके इस बयान से एक सवाल उठता है कि क्या हम वास्तव में राजनीतिक नीतियों की परिस्थितियों को समझ रहे हैं, या हम बस प्रतिद्वंदियों को आरोपित करने के लिए तैयार हैं?
उनके बयान ने हमें सोचने पर मजबूर किया है कि क्या वास्तव में आरोपों को प्रमाणित करने के लिए जरूरत है, या हमें एक नई और सही राजनीतिक प्रक्रिया का पालन करना चाहिए। उनके बयान ने हमें यह सोचने पर मजबूर किया है कि क्या हम वास्तव में अपने देश की राजनीतिक प्रणाली को सुधार सकते हैं, या हमें बस राजनीतिक खेलने के नियमों का पालन करना चाहिए।
इस संदर्भ में, हमें सभी का सहयोग और समर्थन चाहिए ताकि हम एक स्वस्थ और ईमानदार राजनीतिक प्रणाली की दिशा में बढ़ सकें। यह न केवल हमारे समाज के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि हमारे देश के भविष्य के लिए भी। इसलिए, हमें सभी को मिलकर काम करना चाहिए ताकि हम एक समृद्ध, सशक्त और सजीव लोकतांत्रिक प्रणाली को बना सकें।
इसके साथ ही, हमें समझना होगा कि राजनीतिक नेताओं की जिम्मेदारी क्या है। वे सिर्फ अपने आपको सत्ता में बनाए रखने के लिए नहीं हैं, बल्कि उनकी प्राथमिकता हमेशा लोगों की सेवा और समृद्धि को बढ़ावा देना चाहिए। उन्हें लोकतंत्र के मूल तत्वों को समझना और उनका पालन करना चाहिए।
प्रियंका गांधी वाड्रा के बयान ने हमें यह भी सोचने के लिए प्रेरित किया है कि क्या हम राजनीतिक दलों के आदर्शों और मूल्यों की भावना कर रहे हैं, या हम बस राजनीतिक हिसाब-किताब और सत्ता के लिए चिंतित हैं। उनके बयान ने हमें यह भी याद दिलाया है कि एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए जनता की सहमति और समर्थन अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इसलिए, हमें सभी को सामाजिक समाज में सक्रिय रूप से भाग लेने और अपने नेताओं को जागरूक करने के लिए अधिक मांग करना चाहिए। हमें राजनीतिक जागरूकता बढ़ाने और सत्ताधारी दलों को जवाबदेहीपूर्ण बनाने के लिए संगठित रूप से काम करना होगा। इससे हम एक सशक्त और समृद्ध लोकतंत्र की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं।
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने असम के धुबरी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, "असम में 'माफियाओं का राज' चल रहा है. जब आपके सीएम कांग्रेस पार्टी में थे तो उनके खिलाफ गंभीर आरोप थे. बीजेपी में जाते ही उन पर लगे सभी आरोप धुल गए. भाजपा ने एक वॉशिंग मशीन… pic.twitter.com/bgzCVEVBAW
— ABP News (@ABPNews) May 1, 2024
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