प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव में एआई के इस्तेमाल को लेकर चेताया है,
और उनके इस बयान ने सोशल मीडिया पर एक बड़ा हंगामा मचा दिया है।
उन्होंने कहा कि वे अपनी ही आवाज़ में भद्दी-भद्दी चीज़ें सोशल मीडिया पर देख रहे हैं, जिनकी उत्पत्ति एक AI नेटवर्क से हो रही है।
इस विवादास्पद बयान ने देशभर में सामाजिक संचार में तरंग उत्पन्न किए हैं। कुछ लोग मोदी जी के इस बयान का समर्थन करते हैं, तो कुछ उन्हें नकारते हैं। अब तक के नतीजे दिखाते हैं कि भारतीय राजनीति और सोसाइटी में AI के इस्तेमाल की महत्वपूर्णता को लेकर विवाद बना हुआ है।
एक बड़ा प्रश्न यह है कि AI का उपयोग चुनावी प्रक्रिया में किस प्रकार से होना चाहिए। क्या यह सिर्फ विचारों को व्यक्त करने और विपक्ष को नुकसान पहुंचाने का एक और तरीका है, या फिर यह एक नई तकनीकी क्रांति का प्रतिनिधित्व कर रहा है?
मोदी जी का दावा है कि उन्हें खुद का ब्रांड करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि कुछ ऐसे लोग हैं जो उनकी आवाज़ को नकारते हैं और उनकी छवि को कलंकित करने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "देशवासियों से अपील है कि फेक वीडियो नजर आते ही पुलिस और हमारी पार्टी को जानकारी दो, कानून कार्रवाई होगी और आपको न्याय मिलेगा।"
यह बयान AI के उपयोग को लेकर कई सवाल उठाता है। क्या AI का उपयोग नकली समाचार और भ्रांतियों का प्रसार करने में भी किया जा रहा है? क्या सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों को AI का उपयोग करके इस तरह की दुर्भावनापूर्ण सामग्री का पता लगाने और हटाने के लिए और अधिक सख्ती से काम करना चाहिए?
एक और विचारशील समाज के लिए मुद्दा यह है
कि क्या AI का उपयोग राजनीतिक प्रक्रिया में अस्थिरता और असंवेदनशीलता को बढ़ावा दे रहा है? क्या इससे लोगों के विश्वास में कमी आ रही है?
इस संदेह की सामने उत्तर ढूँढ़ना महत्वपूर्ण है। AI का उपयोग केवल तकनीकी उन्नति नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक, राजनीतिक, और मानवतावादी सवाल भी है। इसे ध्यान में रखते हुए, सार्वजनिक नीतियों को इस तकनीकी उपयोग के साथ संगठित करना अत्यंत आवश्यक है।
इसके साथ ही, सामाजिक मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स को भी जिम्मेदारी संभालने की आवश्यकता है कि वे अपने प्लेटफ़ॉर्म पर फैली दुष्प्रभावपूर्ण सामग्री को नियंत्रित करें।
अतः, यह समय है कि हम सभी सोशल मीडिया पर देखी जाने वाली सामग्री को समीक्षा करें, और सत्य और सच्चाई को बनाए रखने के लिए जिम्मेदारी उठाएं। इससे न केवल हमारे राष्ट्र की स्थिरता बढ़ेगी, बल्कि हमारी राजनीतिक प्रक्रिया भी मजबूत होगी।
विचारशीलता की बातें करते हुए, AI के इस्तेमाल के साथ एक और महत्वपूर्ण मुद्दा है - नैतिकता और गोपनीयता। AI का उपयोग किसी भी समाज में नैतिकता के मानकों को छेड़ सकता है, खासकर जब यह राजनीतिक प्रक्रियाओं में होता है। क्या यह अन्याय और अस्थिरता का कारण बन सकता है?
विपक्ष का दावा है कि AI के इस्तेमाल से राजनीतिक प्रक्रिया में निजता और गोपनीयता का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। वे यह भी आरोप लगाते हैं कि सरकार AI के माध्यम से लोगों की निजता को उल्लंघन कर रही है और उनकी व्यक्तिगत जानकारी को अनौपचारिक रूप से उपयोग कर रही है।
यह बात सच है कि AI और डिजिटल तकनीकी प्रगति ने नई स्थितियों को खोल दिया है,
लेकिन इसके साथ ही आयी जिम्मेदारियों का भी उल्लंघन हुआ है।
एक और महत्वपूर्ण पहलू है कि AI के इस्तेमाल के लिए कितनी सक्रिय नीतियां होनी चाहिए। क्या सरकारों को AI के उपयोग के लिए नए कानून और नीतियां बनानी चाहिए, या पहले से मौजूदा कानूनों को संशोधित करना चाहिए?
जिस प्रकार से AI तकनीकी उपयोग बढ़ रहा है, उससे निजी और सार्वजनिक संस्थाओं के बीच भी एक नई चुनौती उत्पन्न हो रही है। नैतिकता, गोपनीयता, और न्याय के मामले में संगठनों को सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि वे तकनीकी प्रगति का लाभ उठा सकें लेकिन साथ ही लोगों की सुरक्षा और नैतिक मूल्यों का पालन भी कर सकें।
इस तरह, AI के इस्तेमाल को लेकर उठे सभी विवाद और चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, हमें सावधानीपूर्वक आगे बढ़ने की आवश्यकता है। एक समाज में तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देने के साथ-साथ नैतिकता, गोपनीयता, और न्याय के मामले में भी सावधानी बरतना आवश्यक है। इससे हम एक सशक्त, न्यायप्रिय, और समावेशी समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव में एआई के इस्तेमाल को लेकर चेताया है. उन्होंने कहा, 'AI का इस्तेमाल करके मेरी ही आवाज में सोशल मीडिया में भद्दी-भद्दी चीज़ें डाल रहे हैं. देशवासियों से अपील है कि फेक वीडियो नजर आते ही पुलिस और हमारी पार्टी को जानकारी दो, कानून कार्रवाई होगी और… pic.twitter.com/Vgefgt7XHw
— ABP News (@ABPNews) April 29, 2024
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