क्या एक क्षण था, क्या एक विचार था, क्या एक अनुभूति थी! यह कैसे संभव हो सकता है
कि यहाँ कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे अपने ही गृह जिले कलबुर्गी में, जहाँ नागरिक अपने मार्गदर्शक को चुनने के लिए तैयार हैं,
उन्हें एक ऐसी भावनात्मक उतावला के साथ देखा जा सकता है? क्या यह संभव है कि उन्होंने वोटर्स को एक अनोखी अपील की, जो दिलों के तारों को छू ले, जो उनके संगीत से एक संवाद बना सकती है?
मल्लिकार्जुन खरगे की आवाज़, एक शोर है, एक विचार है, और एक प्रार्थना है। वे कहते हैं, "यदि आप आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार को अपना वोट नहीं देना चाहते हैं, लेकिन आपको लगता है कि मैंने आपके लिए कुछ किया है, तो कम से कम मेरे अंतिम संस्कार में जरूर शामिल होना।"
वोट का महत्व क्या है? क्या यह सिर्फ एक लम्हा है, एक नाम के खोज में, या फिर कुछ अधिक है? क्या एक व्यक्ति के वोट से उनका निर्माण होता है, या फिर उनका विनाश? यह विचार आँखों के सामने आता है जब खरगे, उन्हें अपनी भूमिका के प्रति एक अधिक जिम्मेदारी महसूस होती है।
जो नेता आत्मा की गहराई से संबंधित है, वह खरगे द्वारा कहे गए शब्दों में प्रतिफलित होता है। उनकी आवाज़ में एक ऊर्जा है, एक प्रेरणा है, जो मनुष्य की आत्मा को चूमती है। वे न केवल एक नेता हैं, बल्कि एक संवादक भी।
कलबुर्गी में खरगे के दामाद, राधाकृष्ण डोड्डामणि, कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। यह कैसे संभव है कि वह एक नेता के परिवार से संबंधित है, और फिर भी उन्होंने अपनी पार्टी के लिए अपने संघर्ष को नम्रता से स्वीकार किया है? यह सवाल हमें सोचने पर मजबूर करता है, कि क्या एक व्यक्ति की पहचान उसके परिवार से होती है, या फिर उसके विचारों से?
यह एक दिल को छू लेने वाला क्षण है, जब हमें खुद को समझने का मौका मिलता है।
क्या हम अपनी भूमिका को जानते हैं? क्या हम उसे समझते हैं? और क्या हम उसे स्वीकार करते हैं?
खरगे की यह भावनात्मक अपील हमें सोचने पर मजबूर करती है। यह कैसे संभव है कि एक नेता अपने नागरिकों से ऐसे विश्वास के साथ बात करता है? क्या यह संभव है कि राजनीतिक दलों के नेता भी मानवीय भावनाओं के साथ जुड़े हो सकते हैं?
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष की यह अपील हमें एक सवाल के सामने खड़ा करती है। क्या राजनीति केवल वोटों का खेल है, या फिर यह एक नागरिक समाज के साथ संवाद की एक प्रक्रिया है? क्या एक नेता केवल राजनीतिक दल के प्रति वफादारी दिखा सकता है, या फिर उन्हें अपने नागरिकों के प्रति भी एक ज़िम्मेदारी है?
यह एक उत्कृष्ट संदेश है, जो न केवल कांग्रेस के अध्यक्ष द्वारा दिया गया है, बल्कि यह एक सामाजिक संवाद का प्रतिक है। यह एक विचारशील समाज की ओर एक प्रेरणा है, जो न केवल वोटों के लिए खेला जाता है, बल्कि मानवीय भावनाओं के लिए भी खेला जाता है।
इस भावनात्मक अपील का अर्थ क्या है? यह कैसे हमारे समाज को प्रभावित करता है? और क्या इसका असर राजनीतिक परिदृश्य पर होता है? यह सवाल हमें सोचने पर मजबूर करता है, कि कैसे एक व्यक्ति के शब्द हमें न केवल सोचने पर मजबूर करते हैं, बल्कि उनका कैसे असर होता है हमारे राजनीतिक प्रक्रियाओं पर।
इस उतावला से भरे भाषण के माध्यम से, मल्लिकार्जुन खरगे ने हमें विचार करने पर मजबूर किया है। वे हमें एक नेता की भूमिका के प्रति हमारे दायित्व को याद दिलाते हैं। उनकी आवाज़ न केवल एक संदेश है,
बल्कि यह एक संवाद भी है, जो हमारे समाज की ओर हमें देखने के लिए प्रेरित करता है।
यह उतावला हमें यहाँ तक ले जाता है कि राजनीति केवल एक खेल नहीं है, बल्कि यह एक ज़िम्मेदारी है। और नेताओं की यह ज़िम्मेदारी उनके नागरिकों के प्रति भी होती है। इसलिए, जब हम अगले चुनाव में अपना वोट देंगे, हमें यह सोचना चाहिए कि हम किसे चुन रहे हैं, और क्या हम उस व्यक्ति के विचारों और मूल्यों के साथ सहमत हैं।
हाँ, यह सोचना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हम किसे चुन रहे हैं और क्यों। चुनाव के समय, हमें नेता के विचारों, उनके कार्यक्षेत्र में किए गए कामों, उनके सामाजिक और नैतिक मूल्यों के संग्रह को विशेष ध्यान में रखना चाहिए।
मल्लिकार्जुन खरगे की भावनात्मक अपील एक बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश देती है। यह दिखाती है कि राजनीति केवल एक सरकार बनाने का खेल नहीं है, बल्कि यह एक अनुबंध और संवाद का भी खेल है। नेताओं की यह दायित्व है कि वे अपने नागरिकों के भले के लिए काम करें और उनकी भावनाओं का सम्मान करें।
इसलिए, हमें विचार करना चाहिए कि हम अपने वोट किसे देते हैं और क्यों। क्या हम उस नेता के साथ हैं जो हमारे मूल्यों और मानवीय भावनाओं को समझता है और समर्थन करता है?
या फिर हम बस राजनीतिक दलों के नाम को देखकर अपना वोट देते हैं?
खरगे की यह भावनात्मक अपील हमें यह सिखाती है कि हमें विचार करना चाहिए कि हमारे वोट का महत्व क्या है और हम उसे किसे दे रहे हैं। राजनीति के मैदान में, हमारे वोट का एक महत्वपूर्ण भूमिका है, जिसे हमें सावधानी से और समझदारी से उपयोग करना चाहिए।
खरगे द्वारा की गई इस भावनात्मक अपील का महत्व बहुत अधिक है। यह हमें एक संवाद के रूप में राजनीतिक प्रक्रिया को समझने के लिए प्रेरित करता है। यह हमें यह भी सिखाता है कि राजनीतिक नेता की भूमिका न केवल निर्वाचकों के साथ संवाद करना है, बल्कि उनकी समझ, सहमति और आवश्यकताओं को समझने का भी है।
संक्षेप में, खरगे की भावनात्मक अपील हमें यह बताती है कि राजनीति केवल एक चुनावी मुकाबला नहीं है, बल्कि यह एक संवाद और समाजिक समझौता का भी माध्यम है। हमें इस अपील का समर्थन करना चाहिए और अपने नेताओं को हमारे सामाजिक, नैतिक और राजनीतिक मूल्यों का समर्थन करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कर्नाटक के अपने गृह जिले कलबुर्गी में वोटर्स से भावुक अपील की. उन्होंने कहा कि अगर आप आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहते हैं. मगर आपको लगता है कि मैंने आपके लिए काम किया है, तो कम से कम मेरे अंतिम… pic.twitter.com/9uUIb6Nfpm
— ABP News (@ABPNews) April 25, 2024
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